रंग के प्रकार । Types of Color in Hindi


रंग के प्रकार । Types of Color in Hindi

आपने कई तरह के रंगों या कलर को देखा होगा। आप देखते हैं कि उनमें कोई Color अधिक गहरा होता है तो कोई Color अधिक हल्का होता है। कभी-कभी हम महसूस करते हैं कि सामान्य तापमान है और कुछ वस्तुएं रंगों के हिसाब से उसी सामान्य तापमान में ठंडी होती हैं तो कुछ गर्म होती हैं। तब हमारे मन मे ख्याल आता होगा कि रंग कितने प्रकार के होते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर कमरे का तापमान लिया जाए उसमें उपस्थित सफेद रंग और काले रंग के बीच अंतर किया जाए तो काला रंग थोड़ा गर्म और सफेद रंग थोड़ा ठंडा मिलता है। परंतु यहां पर रंगों के प्रकार को अलग प्रकार से परिभाषित किया गया है। इसी प्रकार रंगों को वैज्ञानिक आधार पर भी बांटा गया है। वैज्ञानिक के आधार पर रंगों को 2 भागो में बांटा गया है। जिसके अंर्तगत प्रारम्भिक/मुख्य रंग और द्वितीयक/गौण रंग आते है।


रंगों का वर्गीकरण (Classification of Color in Hindi) -:

● समान्यतः रंग के प्रकार

● वैज्ञानिक के आधार पर रंगों के प्रकार


समान्यतः रंगों के प्रकार -:

रंग दो प्रकार के होते हैं जो निम्न में है -

1. गरम रंग

2. ठण्डा रंग


1. गरम रंग/उष्ण रंग (Warm Color) -:

ऐसे रंग जिनमें लाल रंग का प्रभाव पाया जाता है उन्हें गर्म रंग कहते हैं। गर्म रंग के अंतर्गत जितने भी रंग होते हैं उनमें लाल रंग का मिश्रण अवश्य होता है, जिसके कारण वह गर्म रंग कहलाते हैं। ऐसा कोई भी गर्म रंग नहीं होगा, जिसमें लाल रंग का मिश्रण ना हो, अगर जिस रंग में, लाल रंग का मिश्रण नही है तो गर्म रंग नहीं है। ओस्टवाल्ड के चक्र में उपस्थित पीला, नारंगी, लाल तथा बैंगनी गरम रंग के अंतर्गत आते हैं। गरम रंगो के अंदर एक खास बात होती है कि वे आशावादी दिखाई देते हैं।


2. ठण्डा रंग (Cood Colors)  -:

ऐसे रंग जिनमें नीले रंग का प्रभाव पाया जाता है उन्हें ठण्डा रंग रंग कहते हैं। ठण्डे रंग के अंतर्गत जितने भी रंग होते हैं, उनमें नीले रंग का मिश्रण अवश्य होता है, जिसके कारण वह ठण्डे रंग कहलाते हैं। ऐसा कोई भी ठण्डा रंग नहीं होगा, जिसमें नीले रंग का मिश्रण ना हो, अगर जिस रंग में, नीला रंग का मिश्रण नही है तो ठण्डा रंग नहीं है।

ठंडे रंग के अंतर्गत नीला, आसमानी, हरा तथा धानी रंग आ हैं।


वैज्ञानिकों विचार के आधार पर रंग के प्रकार (Types of Colors in Hindi) -:

वैज्ञानिकों के विचार के अनुसार रंग दो प्रकार के भागों में विभाजित किया गया है -

1. प्रारम्भिक या मुख्य रंग (Primary Colours)

2. द्वितीयक या गौण रंग (Secondary Colours)


1. प्रारम्भिक या मुख्य रंग (Primary Colours) -:

लाल रंग, नीला रंग और पीला रंग को प्रारंभिक या मुख्य रंग कहते हैं। इन तीनों रंगों को प्रारंभिक रंग इसलिए कहा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इन रंगों में किसी दूसरे रंग की मिलावट नहीं होती है। कहने का तात्पर्य यह है कि जितनी भी रंगे होती हैं, वह किसी न किसी रंग से मिलकर बनी होती है। परंतु लाल रंग, नीला रंग और पीला रंग किसी भी रंगों से मिलकर नहीं बनती है। इन तीनों रंगों को मिलाकर शेष सभी रंगों को बनाया जा सकता है। परंतु इस आधुनिक युग में ओस्टवाल्ड नामक वैज्ञानिक ने हरे रंग को भी प्रारंभिक रंग ही माना है। इस प्रकार ओस्टवाल्ड के अनुसार लाल, हरा, नीला, और पीला चार प्रकार के प्रारंभिक रंग होते हैं।


2. द्वितीयक या गौण रंग (Secondary Colours) -:

ऐसे रंग जो प्रारंभिक रंगो या मुख्य रंगों को एक दूसरे से मिलाने पर तैयार होते हैं उन्हें द्वितीयक या गौण रंग (Secondary Colours) रंग कहते हैं। जब प्रारंभिक रंगो को आपस में मिलाया जाता है तो नए रंगों का निर्माण होता है जो सेकेंडरी कलर होते हैं।

उदाहरण - 

● लाल और नीला को मिलाने पर बैंगनी रंग बनता है।

● नीला और पीला को मिलाने पर हरा रंग बनता है।

● पीला और लाल को मिलाने से नारंगी रंग बनता है।