रविवार की छुट्टी कब से प्रारंभ हुई और क्यों?

प्रत्येक रविवार को लगभग प्रत्येक संस्था में छुट्टी होती है। परंतु क्या आपने कभी सोचा है आखिर में प्रत्येक रविवार को ही छुट्टी क्यों की जाती है। दरअसल में रविवार की छुट्टी के पीछे कई लोगों का बहुत बड़ा संघर्ष रहा है। आज हम जो रविवार के दिन छुट्टी मनाते हैं तो उसका पूरा श्रेय नारायण मेघाजी लोखंडे को जाता है। क्योंकि आज उन्ही कि बदौलत हम रविवार की छुट्टियां मना पाते हैं क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले मजदूरों के छुट्टी को लेकर लड़ाई लड़ी थी।

यह बात उन दिनों की है जब भारत पर अंग्रेजों ने अधिकार कर लिया था और मजदूरों को प्रत्येक दिन काम करना पड़ता था। उन्हें सप्ताह में तो छोड़िए महीने में भी छुट्टी नहीं मिल पाती थी। प्रत्येक दिन काम करने की वजह से कोई भी मजदूर अपने परिवार से मिलजुल नहीं पाता था और ना ही मजदूर अपने शरीर को आराम दे पाते थे। उस समय मजदूरी के नेता नारायण मेघाजी लोखंडे थे। इतनी बुरी हालत देखकर के उनके मन में एक विचार आया। क्यों ना सप्ताह में 1 दिन प्रत्येक मजदूरों को छुट्टी मिल जाए, जिससे वह आराम भी कर सकें और अपने परिवार के साथ समय बिता सकें। इस विचार को उन्होंने ब्रिटिश सरकार के सामने रखा और सप्ताह में 1 दिन छुट्टी देने का निवेदन किया। परंतु ब्रिटिश सरकार ने नारायण मेघाजी लोखंडे के इस निवेदन को स्वीकार नहीं किया और उन्होंने छुट्टी देने से मना कर दिया। परंतु नारायण मेघाजी लोखंडे ने हार नहीं मानी और उन्होंने मजदूरों को एकत्रित किया और ब्रिटिश सरकार के इस निर्णय का विरोध करने लगे। मजदूर भी नारायण मेघाजी लोखंडे के साथ में आ गए क्योंकि नारायण मेघाजी लोखंडे जी निर्णय बहुत ही अच्छा था और मजदूरों के हक में था। इस प्रकार ब्रिटिश सरकार का मजदूरों और नारायण मेघाजी लोखंडे ने सप्ताह में एक दिन छुट्टी लेने के लिए खूब विरोध किया।

लगातार 7 साल तक सरकार का विरोध करने के बाद नारायण मेघाजी लोखंडे और मजदूरों का संघर्ष सफल हो गया और ब्रिटिश सरकार ने 10 जून 1890 को सप्ताह में एक दिन मजदूरों को छुट्टी देने का फैसला किया। इस प्रकार सब मजदूरों व नारायण मेघाजी लोखंडे के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार ने रविवार के दिन प्रत्येक सप्ताह में छुट्टी की घोषणा कर दी।

कुछ लोगो का मानना है कि रविवार की छुट्टियां 1843 में घोषित की गई थी। जी बिल्कुल सही है यह क्योंकि ये रविवार की छुट्टियाँ 1843 में ही हुई थी परन्तु मजदूरों के लिए नही केवल सरकारी कर्मचारियों व छात्रों के लिए।

अंग्रेजों ने सन 1843 में तय कर दिया गया कि भारत में रविवार की छुट्टी की जाएगी। गर्वनर जनरल ने स्कूल, कॉलेजों और दफ्तरों में संडे को छुट्टी घोषित किया था। अंग्रेजों का मानना था कि अगर रविवार को छुट्टी होती है तो छात्र पढ़ाई पर अपना मन  लगाएंगे और लोग अपने काम पर ज्यादा ध्यान लगाएंगे। क्योंकि उन्हें एक दिन आराम और अपने बाकी अन्य काम के लिए भी समय मिल जाएगा।

इस प्रकार छात्रों व सरकारी कर्मचारियों के लिए रविवार की छुट्टियां 1843 में की गई जिन्हें अंग्रेजो ने लागू किया व मजदूरों के लिए रविवार की छुट्टियां 10 जून 1890 से प्रारंभ हुई जिसका श्रेय नारायण मेघाजी लोखण्डे को जाता है।