लैकर को बनाने के लिए नाइट्रो सैल्यूलोज (Nitro Cellulose) यौगिक का उपयोग किया जाता है। लैकर का जब निर्माण किया जाता है तो नाइट्रो सैल्यूलोज यौगिक को उपयुक्त रेजिन के द्वारा किसी विलायक (Solvent) के साथ घोल लिया जाता है। इस प्रकार हम लैकर का घोल तैयार कर लेते हैं। नाइट्रो सैल्यूलोज ऐसे यौगिक पदार्थ हैं जो सूखकर चिकनी एवं चमकदार सतह निर्माण करता है। चिकनी एवं चमकदार सतह को प्राप्त करने के लिए सैल्यूलोज (Cellulose) यौगिक पर नाइट्रिक तथा सल्फ्यूरिक एसिड के मिश्रण की प्रतिक्रिया कराई जाती है। जिस तरह लैकर को बनाने के लिए विलायक को मिलाया जाता है ठीक वैसे ही लैकर पर एल्कोहल, हाइड्रोकार्बन तथा किटोन (Ketone) नामक यौगिक के मिश्रण का प्रयोग किया जाता है।
इस प्रकार इतने यौगिक के मिश्रण को जब मिलाया जाता है तो ये विलायक शीघ्र ही वाष्पीकृत हो जाते हैं तथा एक पतली परत का निर्माण करते हैं। अगर हम रंग-बिरंगे लैकरों में रंग वर्णक (Colouring Pigment) मिलाते हैं तो रंगदार लैकर बनता है। इस रंगदार लैकर को लैकर एनैमल (Lacquer Enamel) कहा जाता है।