औद्योगिक क्रांति क्या है (What is industrial revolution in Hindi) -:
औद्योगिक क्रांति की कई परिभाषाएं दी गई है जो नीचे क्रमानुसार दी गई हैं।
👉 औद्योगिक क्रांति को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि उत्पादन के साधनों में आमूल- चूल परिवर्तन हो जाना ही औद्योगिक क्रांति है।
👉 औद्योगिक क्रांति का आशय है उद्योगों की प्राचीन परंपरागत और धीमी गति को छोड़कर नए वैज्ञानिक तथा तेज गति के उत्पादन करने वाले यंत्रों एवं मशीनों का प्रयोग किया जाना है।
👉 हम कह सकते हैं कि हाथों द्वारा बनाई गई वस्तु के स्थान पर आधुनिक मशीनों के द्वारा व्यापक स्तर पर निर्माण होने वाली वस्तुओं की प्रक्रिया को ही औद्योगिक क्रांति का नाम दिया जाता है।
औद्योगिक क्रांति का अर्थ -:
औद्योगिक क्रांति का अर्थ है, पुराने पारंपरिक व्यापार करने, वस्तुओं के निर्मित करने व उद्योगों को त्यागकर आधुनिक मशीनीकरण व नए तकनीकी तरीकों से उद्योग व व्यापार करना या करने के प्रयास करना।
जब नए तरीकों से तकनीकी और मशीनों का सहारा लेकर उद्योगों का विकास किया जाता है तो कहा जा सकता है कि औद्योगिक क्रांति आ गई है।
औद्योगिक क्रांति कब और कंहा प्रारम्भ हुई?
औद्योगिक क्रांति इंग्लैंड में लगभग 18वीं शताब्दी के आस-पास प्रारम्भ हुआ। यह क्रांति 1760 और 1820 और 1840 के बीच उत्तरार्ध में इंग्लैंड में प्रारम्भ की गई। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इंग्लैंड में परिवर्तन की प्रक्रिया आरंभ हुई ।
सर्वप्रथम इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति का आरंभ हुआ। उस समय औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप उत्पादन की तकनीक और संगठन में आश्चर्यजनक परिवर्तन हुए। वे परिवर्तन इतने प्रगतिशील हुए कि इसे औद्योगिक क्रांति कहा गया।
औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप बड़े-बड़े उद्योगों का सूत्रपात हुआ और आज पूरी दुनिया में औद्योगिक क्रांति का वह रूप हम लोगों के सामने है।
औद्योगिक क्रांति आने के प्रमुख कारण (Cause of Industrial Revolution in Hindi) -:
1) पूंजी तथा नयी प्रौद्योगिकी
2) पुनर्जागरण काल और बैद्धिक क्रान्ति
3) कृषि क्रांति
4) जनसंख्या विस्फोट
5) व्यापार प्रतिबंधों की समाप्ति व इंग्लैंड की अनुकूल नीतियां
6) उपनिवेशों की स्थापना व कच्चा माल तथा बाजार
7) कारखाना प्रणाली
8) हाथों की बजाय मशीनों द्वारा कार्य
9) लोहे और कोयले की प्राप्ति
10) लाभ कमाने की इच्छा
11) व्यापार में वृद्धि
12) यातायात एवं आवागमन की सुविधा
13) सस्ते मजदूरों की उपलब्धता
14) औद्योगिक क्रांति के समय हुए अविष्कार
1) पूंजी तथा नयी प्रौद्योगिकी -:
जैसा कि हम जानते हैं कि कारखानों की स्थापना के लिए पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है। कारखानों की स्थापना के लिए इंग्लैंड और यूरोप में कृषि क्रांति के फलस्वरूप लोगों के पास काफी मात्रा में धन एकत्र हो चुका था।
इस तरह इन लोगो को बड़े-बड़े व नए कारखानों की स्थापना हेतु आवश्यक पूंजी के लिए किसी से सहयोग लेने की आवश्यकता नहीं थी।
जिसके फलस्वरूप पूंजीपतियों ने औद्योगिक क्रांति को और भी आगे बढ़ाया तथा नए-2 कारखाने बनवाये, जिससे कि औद्योगिक क्रांति को और बढ़ावा मिला।
2) पुनर्जागरण काल और बैद्धिक क्रान्ति -:
पुनर्जागरण काल मे भौगोलिक खोजों तथा धर्म सुधार आंदोलन के कारण लोगो का बौद्धिक विकास का प्रारंभ हो गया ।
नवीन अविष्कारों से बनाए गए भाप की शक्ति का पता लग गया था तथा अन्य कई अविष्कार किए गए जिससे कि औद्योगिकरण में एक नई क्रांति आ गई।
भाप शक्ति खोज तथा धर्म सुधार आंदोलन के कारण लोग पुरानी रीति-रिवाजों को छोड़कर के नए-नए वस्तुएं प्रयोग करने लगे। इन सब का प्रभाव औद्योगिक क्रांति पर बहुत ज्यादा पड़ा।
3) कृषि क्रांति -:
यूरोप के देशों में कृषि प्रणाली में पर्याप्त परिवर्तन हो गया था। इस परिवर्तन के कारण कृषि कार्य में बड़ी-बड़ी मशीनों का प्रयोग होने लगा था। इसे देखकर भी इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति का विकास हुआ।
4) जनसंख्या विस्फोट -:
औद्योगिक क्रांति का मुख्य कारण जनसंख्या विस्फोट की था क्योंकि जनसंख्या में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही थी। लोग पैसा कमाने के नए नए तरीके की खोज करने लगे। यह भी औद्योगिक क्रांति आने का एक प्रमुख कारण था।
5) व्यापार प्रतिबंधों की समाप्ति व इंग्लैंड की अनुकूल नीतियां -:
इंग्लैंड की सरकार ने उद्योग एवं व्यापार को प्रसारित किया क्योंकि इंग्लैंड की सरकार को पता था या फिर उसको अंदाजा लग गया था कि आने वाला भविष्य औद्योगिकरण का गुलाम होगा। इसलिए उसने उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कुछ नियम कानून बनाए ।
यह नियम उसके औद्योगिकरण को बढ़ावा देने में लाभकारी थे।
18 वीं शताब्दी में जब यूरोपीय लोग अपने देशों में फंसकर अपने जनधन की हानि कर रहे थे, उस समय इंग्लैंड अपने उद्योग के विकास के विस्तार में लगा हुआ था।
इस प्रकार औद्योगिक क्रांति को भी बढ़ने में बहुत फायदा मिला जिसमे इंग्लैंड का स्थान महत्वपूर्ण था।
6) उपनिवेशों की स्थापना व कच्चा माल तथा बाजार -:
नवीन भौगोलिक खोजों के फलस्वरुप थोड़े समय में ही इंग्लैंड, फ्रांस, स्पेन और हालैंड आदि यूरोपीय देशों ने संसार के कोने-कोने में अपनी उपनिवेश स्थापित कर लिए।
इस कारण इन साम्राज्यवादी शक्तियों को उपनिवेशो से कच्चा माल और सस्ते श्रमिक उपलब्ध हुए, साथ ही साथ आवश्यकता से अधिक उत्पादन को बेचकर लाभ कमाने की मंडी भी मिल गई।
यह यूरोपीय देश, जिस देश में जाते उसी देश में अपना बाजार बना लेते थे और उसी देश से कच्चा माल प्राप्त करके, उससे उत्पाद बनाते और उसी देश में उच्च दाम पर बेच देते थे।
7) कारखाना प्रणाली -:
इंग्लैंड को अनुमान लग गया था कि आने वाला युग औद्योगीकरण होगा। इसलिए उसने औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए बहुत सारे कारखानों से संबंधित नियम प्रतिपादित किए, जो कारखाने के निर्माण में सहयोग देने वाले और लाभकारी थे।
8) हाथों की बजाय मशीनों द्वारा कार्य -:
जैसा कि हम जानते हैं जब कोई भी कार्य मशीन द्वारा होता है तो वह बहुत ही जल्दी हो जाता है परंतु अगर वह कार्य किसी श्रमिक द्वारा किया जाता है तो वह धीरे-धीरे होता है। इसे वहां के लोगों ने समझा और मशीनों द्वारा कार्य करने लगे।
जिससे उन्हें कम समय में अधिक मात्रा में उत्पाद तैयार हो जाता था और उनकी लागत कम लगती थी , इस प्रकार वे बहुत लाभ कमाते थे जिसके कारण उन्होंने मशीनों का इस्तेमाल करना आरम्भ कर दिया। इस प्रकार मशीनों का प्रयोग करने से औद्योगीकरण को सबसे अधिक बढ़ावा मिला।
9) लोहे और कोयले की प्राप्ति -:
लोहे और कोयले का भी औद्योगिक क्रांति लाने में बहुत बड़ा हाथ था। मशीनों को उस समय चलाने के लिए ईंधन के रूप में कोयले की आवश्यकता पड़ती थी और जैसा कि हम जानते हैं मशीनों के निर्माण के लिए लोहे की आवश्यकता होती है।
लोहा और कोयला इंग्लैंड में आसानी से मिल जाती थी। इन दोनों वस्तुओं की आसानी से उपलब्धता के कारण मशीनों का निर्माण तीव्र गति से हुआ और उन्हें चलाने के लिए ईंधन भी आसानी से मिल गया।
औद्योगिक क्रांति में लोहा, माल की कमी को पूरा कर देता था और ईंधन की कमी को कोयला पूरा कर देता था। जिसके फलस्वरूप वहां पर औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा मिला।
10) लाभ कमाने की इच्छा -:
यूरोप के देशों में औद्योगीकरण के फलस्वरुप व्यापारिक प्रतिस्पर्धा उत्पन्न हो गई। अतः सभी औद्योगिक देश अधिक उत्पादन करके अधिक से अधिक माल बेचकर अधिक लाभ कमाने का प्रयास करने लगे।
इसलिए उन्होंने बड़ी-बड़ी मशीनों की स्थापना की जिससे औद्योगिक क्रांति को बल मिला। वे अपने उत्पादन को बढ़ाने के लिए बड़े से बड़े मशीनों का प्रयोग करने लगे और मशीन बनाने पर ध्यान देने लगे जिसके फलस्वरूप औद्योगिक क्रांति को बहुत अधिक मात्रा में बल मिला और औद्योगिक क्रांति जमीन से आसमान की तरफ बढ़ने लगा।
औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप यूरोप के देशों में बड़े कारखानों के द्वारा बड़े पैमाने के उत्पादन के लिए पहले कच्चा माल उपलब्ध नहीं था परंतु यह दूसरे देशों में जाते और वहां पर इन्हें कच्चा माल मिलने लगा।
इन्होंने पहले उपनिवेश की स्थापना की और बाद इन देशों से सस्ती दर पर कच्चा माल प्राप्त करने लगे। कच्चे माल का उपयोग करने के लिए बड़ी मशीनों की आवश्यकता हुई इस कारण भी औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा मिला ।
कच्चा माल सस्ता मिल सके इसलिए वे दूसरे देशों में जाकर वहां से कच्चा माल प्राप्त करते थे।
11) व्यापार में वृद्धि -:
यूरोप के देशों में व्यापार दिन प्रतिदिन बढ़ रहा था। व्यापारी वर्ग, पूर्वी देशो के साथ व्यापार करने लगे। इस प्रकार पूर्वी देश अपना माल भेजने लगे जिससे इन्हें और आधिक फायदा होने लगा ।
अधिक उत्पादन करना और अधिक माल बेचने के कारण लाभ अधिक होने लगा।
कमाने के लिए प्रयोग की गई यह प्रकिया अपनाने के बाद औद्योगिक क्रांति को बहुत बढ़ावा मिला। इस प्रकार व्यापार वृद्धि होने लगा। जिसके कारण सबसे अधिक लाभ औद्योगिक क्रांति को बढ़ाने में हुआ।
12) यातायात एवं आवागमन की सुविधा -:
इस समय मोटर एवं इंजन के आविष्कार से यातायात में सुविधा हो गई। जिसके फलस्वरूप कच्चा तथा पक्का माल एक स्थान से दूसरे स्थान को ले जाने में आसानी होने लगी। यातायात बढ़ने के साथ-साथ कच्चे व पके व माल आसानी से पहुंच जाते थे, जिससे तेजी के साथ औद्योगिक क्रांति का विकास हुआ।
13) सस्ते मजदूरों की उपलब्धता -:
औद्योगिक क्रांति के विकास के साथ उसमें लाभ अधिक होने लगा। जब कृषि करने वाले किसानों ने देखा कि इसमें लाभ अधिक हो रहा है जबकि हमे कृषि प्रणाली से कोई बढ़ोत्तरी नही हो रही है तो वो भी शहरों की तरफ भागे और काम की तलाश में जुट गए। इंग्लैंड में कृषि करने वाले किसान व अन्य मजदूर कम्पनियों व अन्य संस्थाओ को बहुत सस्ते-सस्ते प्राप्त होने लगे। अतः मजदूर के सस्ते मिलने से भी औद्योगिक क्रांति को अधिक बढ़ा मिला।
14) औद्योगिक क्रांति के समय हुए अविष्कार -:
औद्योगिक क्रांति के समय हुए नए-नए मशीनों और अविष्कारों ने औद्योगिक क्रांति में ज्वालामुखी का काम किया। इन नए अविष्कारों ने उद्योग के क्षेत्र की क्रांति में ला दी। इन नए अविष्कारों के फलस्वरुप औद्योगिक क्रांति को एक नई दिशा मिली और वह सही दिशा में तीव्र गति से दौड़ पड़ा।
औद्योगिक क्रांति के प्रभाव -:
औद्योगिक क्रांति ने यूरोप के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन को प्रभावित किया। औद्योगिक क्रांति आने से यूरोपीय देशों पर निम्न प्रभाव पड़े -
A) आर्थिक प्रभाव
B) सामाजिक प्रभाव
C) राजनीतिक प्रभाव
A) औद्योगिक क्रांति के कारण आर्थिक प्रभाव -:
औद्योगिक क्रांति आने के बाद लोगों के आर्थिक जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आया। कुछ बदलाव निम्न हैं -
1)विशाल कारखानों की स्थापना से उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि हुई।
2)समाज में लोगों के रहन-सहन का दर्जा ऊंचा होने लगा।
3)आयात-निर्यात तथा संचार के साधनों में वृद्धि हुई।
4)बड़े बड़े नगरों की स्थापना हुई ।
5)जनसंख्या में वृद्धि हुई।
6)बैंकिंग सुविधाओं का विकास हुआ।
B) औद्योगिक क्रांति के कारण सामाजिक प्रभाव -:
औद्योगिक क्रांति से समाज में वर्ग भेद का उदय हो गया। पूंजीपति के रूप में एक नया वर्ग अस्तित्व में आया ।
धीरे-धीरे पूंजीपतियों ने उत्पादन के साधनों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया और अब मजदूर पूर्णतया पूंजीपतियों की दया पर आश्रित हो गया।
औद्योगिक क्रांति के कारण नगरों की संख्या बढ़ने लगी और जनसंख्या में वृद्धि हुई। बढ़ती जनसंख्या और नगरीकरण के कारण मजदूर वर्ग के लिए आदर्श आवास नहीं हो पाए चारो तरफ गंदगी और स्वास्थ्यकारी वातावरण पैदा हो गया।
1) समाज दो वर्गों में विभाजित हो गया पूंजीपति तथा श्रमिक।
2) छोटे किसानों का अंत होने लगा ।
3) पूंजीपति वर्ग का जीवन विलासिता पूर्ण होने लगा।
4) समाज का नैतिक पतन प्रारंभ हो गया ।
5) बड़े उद्योगों की स्थापना से गृह व्यवसाय प्रणाली समाप्त होने लगी।
C) औद्योगिक क्रांति के कारण राजनीतिक प्रभाव -:
पूंजीपतियों ने अपने औद्योगिक हितों की पूर्ति के लिए राजनीति में हस्तक्षेप करना प्रारंभ कर दिया। वे धन के बल पर संसद में पहुंचने लगे तथा उन्होंने अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए मजदूरों के हितों की उपेक्षा करनी आरंभ कर दी।
कालांतर में सर्वहारा वर्ग के लोगों ने पूंजीपतियों के अत्याचार और शोषण के विरुद्ध आवाज बुलंद की श्रमिकों ने आंदोलन प्रारंभ कर दिया। जिसके फल स्वरूप सरकार को फैक्टरी एक्ट बनाने पड़े।
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