गैस वेल्डिंग किसे कहते हैं? गैस वेल्डिंग के प्रकार

गैस वेल्डिंग (Gas Welding)

यह ऐसी वेल्डिंग है जिसमें दो कार्यखंडो को जोड़ने के लिए, उनकी सतह को पिघलाकर आपस में जोड़ा जाता है। धातुओं की सतहो को पिघलाने के लिए ऊष्मा की आवश्यकता होती है और इस ऊष्मा को ईंधन गैसो को जलाकर प्राप्त किया जाता है। ईंधन गैस को जलाकर ऊष्मा प्राप्त करके धातुओं को आपस मे जोड़ने के कारण इस Welding को गैस वेल्डिंग कहा जाता है। इसमें गैसीय ईंधन को जलाकर ऊष्मा प्राप्त किया जाता है। ईंधन गैसों के रूप में एसिटिलीन गैस सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। जबकि ईंधन गैसों के रूप में निम्न गैस भी प्रयोग की जा सकती हैं।

A. कोक ओवन गैस

B. कैरोसीन या पेट्रोलियम गैस

C. natural gas

ईंधन गैसों को जलाने के लिए ऑक्सीजन का प्रयोग किया जाता है। कभी कभी ऑक्सीजन के जगह दाबयुक्त हवा भी प्रयोग कर ली जाती है। परन्तु जब दाबयुक्त हवा प्रयोग की जाती है तो thermal efficiency कम प्राप्त होती है। गैस ईंधन द्वारा जो उष्मा उपजती है, वह  ऑक्सीजन और ईंधन गैस के अनुपात और दबाब पर निर्भर करती है। इनका मिश्रण जितना अधिक सही और दाबयुक्त होगा उष्मा भी उतनी ही अधिक मात्रा में प्राप्त होगी। गैस वेल्डिंग में सबसे अधिक एसिटिलीन गैस और ऑक्सीजन का ही प्रयोग किया जाता है।


Oxy-Acetylene Gas Welding
ऑक्सी-एसिटिलीन गैस वेल्डिंग

गैस वेल्डिंग (Gas Welding) के प्रकार-

एसिटिलीन गैस के Pressure के आधार पर गैस वेल्डिंग को दो प्रकार में बांटा गया है।

1.हाइ प्रेशर वेल्डिंग (High Pressure Welding)

2.लो प्रेशर वेल्डिंग (Low Pressure Welding)


1.उच्च दाब वेल्डिंग (High Pressure Welding)

High Pressure Welding में एसिटीलीन गैस को बड़े कारखानों में तैयार करके 15 किलोग्राम प्रति वर्ग सेंटीमीटर दाब पर में  सिलेंडरों में भरकर प्रयोग किया जाता है।


2.निम्न दाब वेल्डिंग (Low Pressure Welding)

Low Pressure Welding में एसिटीलीन गैस का उत्पादन छोटे से गैस जनरेटर में, कार्यस्थल पर ही 1 किलोग्राम प्रति वर्ग सेंटीमीटर दाब पर या इससे भी कम दाब पर करके welding की जाती है।