नए स्थानों व देशों की खोज और यात्राये - धार्मिक सुधार आंदोलन

नए स्थानों की खोज और यात्राये -:

जब धार्मिक सुधार आंदोलन सफल हो गया था तो जिज्ञासा की भावना ने ही उन्हें नए देशों एवं स्थानों की खोज हेतु प्रेरणा दी। 15वीं सदी के अंतिम वर्षों और 16वीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में यूरोप के साहसी नाविकों ने जोखिम उठाते हुए लंबी-लंबी यात्राएं करके नवीन देशों की खोज करने में सफलता अर्जित की। इसलिए पुनर्जागरण काल को खोजों का काल भी कहा जाता है।

इंग्लैंड, फ्रांस, हालैंड और जर्मनी के नाविक भी खोज अभियान में जुट गए। इस काल में खोजी यात्राओं के लिए अनुकूल परिस्थितियां थीं। जिनके कारण सुगमता से खोजी अभियान प्रारंभ हुआ।


नए देशो की खोज -:

उत्तमाशा अंतरीप की खोज -:

1486 इसवी में पुर्तगाल के नाविक बर्थोंलोमिओ डायज ने संपूर्ण पश्चिमी अफ्रीका के तट की यात्रा की और इसी के क्रम में वह दक्षिण अफ्रीका के अंतरीप तक पहुंचने में सफल रहा उसने इस अंतरीप का नाम उत्तमाशा अंतरीप रखा।


अमेरिका की खोज -:

पुर्तगाली नाविकों की सफलता एवं कुतुबनुमा के अविष्कार ने स्पेन के नाविकों को भी समुद्री यात्राओं के लिए प्रेरित किया।

जेनोवा के साहसी नाविक क्रिस्टोफर कोलंबस ने स्पेन के शासक फर्डिनेण्ड एवं रानी आईसाबेला के प्रोत्साहन से भारत की खोज के लिए 1492 ईस्वी में यात्रा प्रारंभ की।

33 दिन की यात्रा के बाद कोलंबस एक नई धरती पर पहुंचा कोलंबस ने सोचा कि मैंने भारत की भूमि पर पहुंचने में सफलता प्राप्त कर ली है किंतु वह भारत नहीं बल्कि नई दुनिया अमेरिका थी।


भारत के समुद्री मार्ग की खोज -:

वास्कोडिगामा पुर्तगाल का निवासी था । भौगोलिक खोजों के क्षेत्र में पुर्तगालियों को जो महत्वपूर्ण सफलता मिली उसका श्रेय पुर्तगाल के कुशल एवं साहसी नाविक वास्कोडिगामा को है 1498 की वास्कोडिगामा ने पुर्तगाल के राजा से आर्थिक सहायता प्राप्त कर अपने अभियान की शुरुआत की वह अपने जहाजी बेड़े के साथ अफ्रीका का चक्कर लगाता हुआ उत्तमाशा अंतरीप पहुंचा वहां से उसने हिंद महासागर में प्रवेश किया और पूर्व की ओर बढ़ा और भारत के पश्चिमी तट पर स्थित कालीकट पहुंचा।

वास्कोडीगामा ऐसा प्रथम यूरोपीय व्यक्ति था जो समुद्री मार्ग से भारत पहुंचा ।


मैग्लेन द्वारा फिलीपींस दीप समूह की खोज -:

मैग्लेन भी एक पुर्तगाली नाविक था स्पेन की आर्थिक सहायता पाकर उसने समुद्री यात्रा प्रारंभ की उसका मानना था कि पृथ्वी गोल है इसलिए यदि पश्चिमी दिशा से यात्रा प्रारंभ की जाए तो पूर्व की ओर पहुंचा जा सकता है अपनी यात्रा के दौरान दक्षिण अफ्रीका के जलडमरूमध्य से होकर वह प्रशांत महासागर तक पहुंचा लंबे समय तक यात्रा करने के बाद वो फिलिपींस दीप समूह पहुंच गया मैग्लेन को यह सफलता लगभग 3 वर्ष की यात्रा के बाद मिली


सर फ्रांसिस ड्रेक -:

महारानी एलिजाबेथ के शासनकाल में महारानी के प्रोत्साहन के फल स्वरुप अंग्रेज नाविक फ्रांसिस डेरकने जहाज द्वारा संपूर्ण विश्व की परिक्रमा करने में सफलता प्राप्त की वह विश्व का पहला नाविक था जो संसार का चक्कर लगाकर जीवित स्वदेश लौटा था महारानी एलिजाबेथ ने ड्रेक की इस महान उपलब्धि के लिए उसे नाइट की उपाधि से अलंकृत किया


ब्राजील की खोज -:

1501 ईसवी में पुर्तगाली नाविक कैब्रेल ने ब्राजील देश की खोज करने में सफलता प्राप्त की उसने भी समुद्री मार्ग अपनाया और ब्राजील की खोज कर डाली


मैक्सिको की खोज -:

स्पेनिश नाविक कोर्टिश 1519 ईसवी में मैक्सिको की खोज की।


पेरू की खोज -:

1531 ईसवी में पिजरों नामक नाविक ने पेरू को खोज निकालने में सफलता प्राप्त की।


अफ्रीका महाद्वीप की खोज -:

इस महाद्वीप की खोज का श्रेय मार्टन स्टेनली तथा डेविड लिविंगस्टन को है इन्होंने अफ्रीका महाद्वीप के संबंध में अनेक लेख भी लिखे।