Oleander flower in Hindi । कनेर का फूल व उसके प्रकार

Oleander flower in Hindi । कनेर का फूल व उसके प्रकार, पौधे व हिन्दू धर्म मे महत्व

कनेर का फूल (Oleander flower)

कनेर का फूल (Oleander flower in Hindi) -:

कनेर के फूल को अंग्रेजी में Oleander Flower के नाम से जाना जाता है। कनेर के फूल का वानस्पतिक का नाम Nerium Oleander है।

कनेर के पेड़ वन और उपवन में आसानी से मिल जाते है। कनेर के फूल कई रंगों में पाए जाते हैं जो दिखने में बहुत ही सुंदर होते हैं। यह बहुत ही कम सुगंध उत्पन्न करते हैं। फूल के नीचे का हिस्सा हल्का पतला बेलनाकार होता है और फूल का ऊपरी हिस्सा गोलाकार और खुला होता है जो देखने बहुत ही अच्छा लगता है।

कनेर के फूल प्रत्येक शाखा के अंत में गुच्छों रूप में खिलते हैं। कनेर के फूल खासकर गर्मियों के मौसम में अधिक मात्रा में खिलते हैं।  इस पेड़ से प्राप्त फूल से पूजा करने के लिए भी इसके पौधे को घर के आसपास लाया जाता है।


कनेर के फूलों के प्रकार (Types of Oleander flower in Hindi) -:

Oleander flower in Hindi । कनेर का फूल व उसके प्रकार, पौधे व हिन्दू धर्म मे महत्व
पीला, गुलाबी, सफेद व लाल कनेर का फूल

कनेर के फूल ऐसे तो कई रंगों में होते हैं। ये फूल गुलाबी, बैंगनी, लाल, पीला, सफेद व नारंगी रंग के भी हो सकते हैं परंतु मुख्यतः इनको 4 ही भागो में बांटा गया है।

कनेर के फूलों की चार जातियां होती हैं।

1. सफेद कनेर

2. लाल कनेर

3. गुलाबी कनेर

4. पीला कनेर


कनेर का पौधा (Oleander Plants in Hindi) -:

भारत में कनेर का फूल का बहुत ही मशहूर है। कनेर के पेड़ की ऊंचाई लगभग 10 से 11 हाथ से ज्यादा बड़े नहीं होते हैं। अगर इसको पैमाने पर नापा जाए तो मुश्किल से यह 15 से 20 फुट ऊंचे होते है। कनेर के पौधे की पत्ती लम्बाई में 4 से 6 इंच और चौडाई में 1 इंच तक होती है।

कनेर के पत्ते सिरे से नोकदार, नीचे से खुरदरे, सफेद घाटीदार और ऊपर से चिकने होते है।

कनेर के पेड़ के किसी भी हिस्से को कुरेदने या तोड़ने से दूध निकलता है। जब कनेर के फूल को तोड़ा जाता है तब भी तो निकलता है। परंतु जब कनेर के फूल को तोड़कर और उस तोड़े गए फूल को तोड़ा जाता है तो उसमें से दूध नहीं निकलता है।


कनेर की फलियां और बीज है काफी खतरनाक -:

इन फूलों की फलियां चपटी, गोलाकार 3 से 6 इंच तक लंबी होती है। जो बहुत ही जहरीली होती हैं। कनेर के फली के अंदर उपस्थित बीज भी काफी खतरनाक होता है। ऐसा माना जाता है कि कनेर का एक बीज डाइगाक्सीन के 100 टैबलेट के बराबर होता है। जब कोई व्यक्ति इसे खा लेता है तो सबसे पहले उसके दिल की धड़कन धीमी होती है और आखिरकार कुछ समय बाद दिल की धड़कन रुकने लग जाती है जिसके कारण व्यक्ति मृत्यु भी हो सकती है।

कनेर के फूलों और जड़ों में भी जहर होता है। इनकी पत्तियां भी मनुष्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं। कभी-कभी एलर्जी के कारण पत्तियां के स्पर्श के कारण खुजली उत्पन्न हो जाती है।कनेर के जड़, फूल, फल और पत्तियों को कभी भी खाना नहीं चाहिए। इन पौधों को घर में घर के आसपास लगाते समय ऐसी जगह लगाना चाहिए जहां पर बच्चे ना पहुंच सके।

इसके फूल किसी भी हिस्से को खाने से आप की तबीयत खराब हो सकती है। परन्तु कहा जाता है ना लोहे को काटने के लिए लोहे की आवश्यकता पड़ती है ठीक वैसे ही इसके बहुत सारे औषधि उपयोग भी हैं।


हिन्दू धर्म मे कनेर के पौधे के फूल का महत्व -:

हिंदू धर्म में कनेर के फूल से पूजा की जाती है। कनेर का फूल शुभ संकेत देने वाला होता है। सनातन धर्म में ऐसा कहा जाता है कि नहीं जिस तरह कनेर का पेड़ पूरे वर्ष फूलों से भरा हुआ होता है उसी तरह इसे घर में लगाने से पूरे साल घर में धन की कमी नहीं है और घर में सभी सुखी रहते हैं।

ऐसा माना जाता है कि कनेर का पौधा मन को शांत रखने में मदद करता है और पूरे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

इसमें सफेद कनेर फूल का काफी महत्व है।  यह औषधि के रूप में भी अधिकतर प्रयोग किया जाता है तथा सफेद कनेर के फूलों को मां लक्ष्मी के चरणों में चढ़ाने में या उनकी पूजा में सफेद कनेर के फूलों को शामिल करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं तथा हमेशा घर धन-धान्य से भरा रहता है।