प्लेसेंटा क्या है? | Placenta in Hindi – कार्य, प्रकार और जटिलताएं

 गर्भावस्था के दौरान, प्लेसेंटा (Placenta) शिशु और मां के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है। यह शिशु को पोषण और ऑक्सीजन प्रदान करता है, साथ ही अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इस लेख में हम प्लेसेंटा से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी को विस्तार से समझेंगे।


प्लेसेंटा क्या होता है? (Placenta Kya Hai?) :

प्लेसेंटा एक डिस्क के आकार की संरचना होती है, जो गर्भाशय की दीवार से जुड़ी होती है। यह गर्भनाल (Umbilical Cord) के माध्यम से शिशु से जुड़ी होती है और विकास के लिए जरूरी पोषक तत्व, ऑक्सीजन और एंटीबॉडी प्रदान करती है।


प्लेसेंटा के कार्य (Functions of Placenta) :

प्लेसेंटा भ्रूण के लिए एक जीवनदायी अंग है, जो उसे पोषण, ऑक्सीजन, हार्मोन और सुरक्षा प्रदान करता है। यह गर्भावस्था के सफल संचालन और शिशु के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक है।

प्लेसेंटा गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को पोषण, ऑक्सीजन और सुरक्षा प्रदान करता है। इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

1. भ्रूण को पोषण और ऑक्सीजन की आपूर्ति :

मां के रक्त से पोषक तत्व (ग्लूकोज, अमीनो एसिड, विटामिन, खनिज) लेकर भ्रूण तक पहुंचाता है।

भ्रूण को आवश्यक ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है।


2. अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालना :

भ्रूण द्वारा उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड और यूरिया को मां के रक्त में स्थानांतरित करता है, जिससे वे शरीर से बाहर निकल जाते हैं।


3. महत्वपूर्ण हार्मोन का उत्पादन :

hCG (Human Chorionic Gonadotropin): गर्भावस्था बनाए रखने में मदद करता है।

प्रोजेस्टेरोन: गर्भाशय की परत को बनाए रखता है और गर्भपात रोकता है।

एस्ट्रोजन: गर्भाशय और स्तनों के विकास में सहायता करता है।

hPL (Human Placental Lactogen): भ्रूण के पोषण के लिए मां के शरीर में ग्लूकोज का स्तर बढ़ाता है।


4. संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करना :

मां के शरीर से एंटीबॉडी भ्रूण तक पहुंचाकर उसे संक्रमण से बचाता है।


5. गर्भाशय में भ्रूण को सही स्थान पर बनाए रखना :

भ्रूण को गर्भाशय की दीवार से जोड़कर उसे सुरक्षित रूप से स्थापित करता है।


6. रक्त संचारण को नियंत्रित करना :

भ्रूण और मां के रक्त को अलग रखते हुए आवश्यक पोषक तत्वों और गैसों का आदान-प्रदान करता है।


7. शिशु के फेफड़ों, लिवर और किडनी की अस्थायी भूमिका निभाना :

भ्रूण के फेफड़े और किडनी पूरी तरह विकसित होने तक, प्लेसेंटा गैसों का विनिमय और अपशिष्ट पदार्थों को छानने का काम करता है।


8. कुछ दवाओं और हानिकारक पदार्थों को रोकना :

कुछ विषैले पदार्थों और दवाओं को भ्रूण तक पहुंचने से रोकता है, हालांकि सभी हानिकारक तत्वों को नहीं रोक पाता।




प्लेसेंटा के प्रकार (Types of Placenta)


प्लेसेंटा के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:


1. एंटीरियर प्लेसेंटा (Anterior Placenta) – जब प्लेसेंटा गर्भाशय के सामने की दीवार पर स्थित होता है।



2. पोस्टीरियर प्लेसेंटा (Posterior Placenta) – जब यह गर्भाशय की पीछे की दीवार से जुड़ा होता है।



3. फंडल प्लेसेंटा (Fundal Placenta) – जब प्लेसेंटा गर्भाशय के ऊपरी भाग में स्थित होता है।



4. लो-लाइंग प्लेसेंटा (Low-Lying Placenta) – जब प्लेसेंटा गर्भाशय के निचले भाग में स्थित होता है, जिससे जटिलताएं हो सकती हैं।



प्लेसेंटा से जुड़ी समस्याएं (Placenta-Related Complications) :

गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा का सही कार्य करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि इसमें कोई समस्या आती है, तो यह मां और भ्रूण दोनों के लिए जटिलताएं पैदा कर सकता है।

1. लो-लाइंग प्लेसेंटा (Low-Lying Placenta) :

जब प्लेसेंटा गर्भाशय में नीचे की ओर स्थित होता है।

यह सामान्य रूप से गर्भावस्था के दौरान ऊपर चला जाता है, लेकिन यदि ऐसा न हो तो प्रसव के दौरान समस्याएं आ सकती हैं।


2. प्लेसेंटा प्रिविया (Placenta Previa) :

जब प्लेसेंटा आंशिक या पूर्ण रूप से गर्भाशय के मुंह (सर्विक्स) को ढक लेता है।

इससे सामान्य प्रसव (नॉर्मल डिलीवरी) संभव नहीं हो पाता और सी-सेक्शन करना पड़ सकता है।

लक्षण: गर्भावस्था के अंतिम महीनों में बिना दर्द के रक्तस्राव होना।


3. प्लेसेंटा एक्रेटा (Placenta Accreta) :

जब प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से गहराई से चिपक जाता है और प्रसव के बाद आसानी से अलग नहीं होता।

इससे गंभीर रक्तस्राव हो सकता है, जिससे मां के लिए खतरा बढ़ सकता है।

इसके अन्य रूप:

प्लेसेंटा इनक्रेटा (Placenta Increta): जब प्लेसेंटा गर्भाशय की मांसपेशियों में प्रवेश कर जाता है।

प्लेसेंटा पेरक्रेटा (Placenta Percreta): जब प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार को पार कर आसपास के अंगों (जैसे ब्लैडर) में प्रवेश कर जाता है।


4. प्लेसेंटा एब्रप्शन (Placental Abruption) :

जब गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा समय से पहले गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाता है।

इससे भ्रूण को ऑक्सीजन और पोषण की आपूर्ति बाधित हो सकती है।

लक्षण: तेज पेट दर्द, रक्तस्राव और भ्रूण की हलचल में कमी।


5. प्लेसेंटा रिटेंशन (Retained Placenta) :

* जब प्रसव के बाद प्लेसेंटा गर्भाशय में ही रह जाता है और पूरी तरह बाहर नहीं निकलता।

* यह संक्रमण और अत्यधिक रक्तस्राव का कारण बन सकता है।


6. वेलामेंटस इंसर्शन (Velamentous Insertion of the Umbilical Cord) :

* जब नाल (umbilical cord) के रक्त वाहिकाएं प्लेसेंटा से जुड़ने से पहले झिल्ली से होकर गुजरती हैं।

* यह रक्तस्राव और भ्रूण के लिए खतरे का कारण बन सकता है।


7. वासा प्रिविया (Vasa Previa) :

*जब भ्रूण की रक्त वाहिकाएं गर्भाशय के मुंह (सर्विक्स) को ढक लेती हैं।

*प्रसव के दौरान रक्त वाहिकाएं फट सकती हैं, जिससे भ्रूण को गंभीर खतरा हो सकता है।


8. प्लेसेंटल इंफार्क्शन (Placental Infarction) :

जब प्लेसेंटा में रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है, जिससे भ्रूण तक पोषण और ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।


9. प्लेसेंटा के आकार और संरचना में असामान्यता :

बिलोबेड प्लेसेंटा (Bilobed Placenta): जब प्लेसेंटा दो भागों में विभाजित होता है।

सर्कुममार्जिनेट प्लेसेंटा (Circummarginate Placenta): जब प्लेसेंटा का किनारा असामान्य रूप से विकसित होता है।

बैटलडोर प्लेसेंटा (Battledore Placenta): जब नाल प्लेसेंटा के केंद्र की बजाय किनारे पर जुड़ी होती है।



डिलीवरी के बाद प्लेसेंटा का क्या होता है? (Placenta After Birth) :

प्लेसेंटा गर्भावस्था के दौरान शिशु को ऑक्सीजन और पोषण प्रदान करने वाला एक महत्वपूर्ण अंग होता है। लेकिन जन्म के बाद प्लेसेंटा की कोई आवश्यकता नहीं रहती, इसलिए यह शरीर से बाहर निकल जाता है। इसे "आफ्टरबर्थ" (Afterbirth) भी कहा जाता है। डिलीवरी के बाद प्लेसेंटा के साथ क्या होता है, यह कई कारकों पर निर्भर करता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।


डिलीवरी के बाद प्लेसेंटा कैसे बाहर आता है?

जब शिशु जन्म ले लेता है, तो डॉक्टर या नर्स प्लेसेंटा को गर्भाशय से बाहर निकालने की प्रक्रिया करते हैं। इसे तीसरा चरण (Third Stage of Labor) कहा जाता है। यह दो तरीकों से हो सकता है:

1. प्राकृतिक रूप से (Spontaneous Expulsion) :

जब शिशु जन्म ले लेता है, तो गर्भाशय सिकुड़ने लगता है और प्लेसेंटा खुद ही 10 से 30 मिनट के भीतर बाहर आ जाता है।

कभी-कभी डॉक्टर हल्के से पेट को दबाकर प्लेसेंटा को बाहर निकालने में मदद करते हैं।


2. मेडिकल हस्तक्षेप द्वारा (Active Management) :

कुछ मामलों में, डॉक्टर प्लेसेंटा को जल्दी बाहर निकालने के लिए इंजेक्शन देते हैं, जिससे गर्भाशय जल्दी संकुचित होता है और प्लेसेंटा बाहर आ जाता है।

यदि प्लेसेंटा अपने आप नहीं निकलता, तो डॉक्टर मैनुअली (हाथ से) प्लेसेंटा को निकाल सकते हैं।



डिलीवरी के बाद प्लेसेंटा का क्या किया जाता है?

शिशु के जन्म के बाद प्लेसेंटा का उपयोग और निपटान विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है:

1. मेडिकल डिस्पोजल (Medical Disposal) :

अधिकतर अस्पतालों में प्लेसेंटा को जैव-चिकित्सा कचरे (Biomedical Waste) के रूप में नष्ट कर दिया जाता है।

कुछ मामलों में, इसे मेडिकल रिसर्च या ड्रग डेवलपमेंट में उपयोग किया जाता है।


2. प्लेसेंटा एनकैप्सुलेशन (Placenta Encapsulation) :

कुछ महिलाएं प्लेसेंटा को सुखाकर कैप्सूल (Placenta Capsules) में बदलवा लेती हैं और इसे पोषण के लिए खाती हैं।

ऐसा माना जाता है कि यह डिलीवरी के बाद हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने, ऊर्जा बढ़ाने और डिप्रेशन को कम करने में मदद करता है।


3. प्लेसेंटा का स्टोरेज (Cord Blood Banking) :

कई माता-पिता अम्बिलिकल कॉर्ड ब्लड (Umbilical Cord Blood) को स्टोर करवाते हैं, क्योंकि इसमें स्टेम सेल होते हैं जो भविष्य में बीमारियों के इलाज में काम आ सकते हैं।


4. धार्मिक और पारंपरिक प्रथाएं :

कई संस्कृतियों में प्लेसेंटा को विशेष रूप से दफनाया जाता है, क्योंकि इसे जीवन का प्रतीक माना जाता है।

कुछ स्थानों पर इसे पेड़ के नीचे गाड़ा जाता है, जिससे यह "जीवन का वृक्ष" (Tree of Life) का प्रतीक बनता है।


5. प्लेसेंटा का वैज्ञानिक उपयोग :

प्लेसेंटा में स्टेम सेल और प्रोटीन होते हैं, जिन्हें चिकित्सा अनुसंधान और त्वचा उपचार (Skin Treatments) में उपयोग किया जाता है।



डिलीवरी के बाद प्लेसेंटा से जुड़ी समस्याएं :

1. रिटेन्ड प्लेसेंटा (Retained Placenta) :

यदि प्लेसेंटा पूरी तरह से बाहर नहीं आता, तो यह संक्रमण या भारी रक्तस्राव (Postpartum Hemorrhage) का कारण बन सकता है।

ऐसे में डॉक्टर इसे सर्जिकल तरीके से हटाने की सलाह देते हैं।


2. प्लेसेंटा एक्रेटा (Placenta Accreta) :

यह एक स्थिति है जिसमें प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है और आसानी से अलग नहीं होता।

इस स्थिति में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।


3. अधिक रक्तस्राव (Postpartum Hemorrhage) :

अगर प्लेसेंटा पूरी तरह से नहीं निकलता या गर्भाशय ठीक से संकुचित नहीं होता, तो यह भारी रक्तस्राव का कारण बन सकता है।

ऐसे में डॉक्टर रक्तस्राव को रोकने के लिए दवाएं या सर्जरी का सहारा लेते हैं।



प्लेसेंटा से जुड़ी सावधानियां (Precautions Related to Placenta) :

गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा का सही कार्य करना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह शिशु के पोषण और सुरक्षा के लिए मुख्य भूमिका निभाता है। यदि प्लेसेंटा से जुड़ी कोई समस्या हो, तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए खतरा बन सकती है। इसलिए, निम्नलिखित सावधानियां बरतना आवश्यक है:

1. नियमित स्वास्थ्य जांच और अल्ट्रासाउंड करवाएं :

गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप कराएं ताकि प्लेसेंटा की स्थिति और कार्य को मॉनिटर किया जा सके।
अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) और अन्य परीक्षण के जरिए पता लगाया जा सकता है कि प्लेसेंटा सही स्थान पर है या नहीं।


2. अधिक शारीरिक मेहनत और भारी सामान उठाने से बचें :

यदि आपको लो-लाइंग प्लेसेंटा (Low-Lying Placenta) या प्लेसेंटा प्रेविया (Placenta Previa) की समस्या हो, तो अचानक झुकने, भारी सामान उठाने या अधिक शारीरिक श्रम करने से बचें।
अत्यधिक परिश्रम से प्लेसेंटा के समय से पहले अलग होने (Placental Abruption) या रक्तस्राव (Bleeding) की समस्या हो सकती है।


3. धूम्रपान और शराब से पूरी तरह बचें :

धूम्रपान (Smoking) और शराब (Alcohol) प्लेसेंटा की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे शिशु को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण नहीं मिल पाता।
इससे प्रीमैच्योर बर्थ (Premature Birth) और लो बर्थ वेट (Low Birth Weight) का खतरा बढ़ जाता है।


4. पेट पर अचानक झटका या चोट लगने से बचें :

किसी भी प्रकार की दुर्घटना, गिरने, पेट पर दबाव या झटके से प्लेसेंटा डिटैचमेंट (Placental Abruption) या ब्लीडिंग का खतरा बढ़ सकता है।
यदि ऐसा कोई भी हादसा हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।


5. रक्तस्राव या असामान्य लक्षणों को नजरअंदाज न करें

यदि गर्भावस्था के दौरान अचानक रक्तस्राव (Vaginal Bleeding), पेट में तेज दर्द, ऐंठन (Cramps) या चक्कर आने जैसी समस्या हो, तो इसे हल्के में न लें।
ये लक्षण प्लेसेंटा से जुड़ी किसी गंभीर जटिलता का संकेत हो सकते हैं। तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।


6. संतुलित आहार लें (Healthy Diet for Placenta Health) :


आयरन (Iron), कैल्शियम (Calcium), फोलिक एसिड (Folic Acid) और प्रोटीन से भरपूर भोजन करें, ताकि प्लेसेंटा मजबूत बना रहे और शिशु को पूरा पोषण मिले।
जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड से बचें, क्योंकि ये प्लेसेंटा को कमजोर कर सकते हैं।


7. तनाव (Stress) को नियंत्रित करें :

अधिक मानसिक तनाव से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, जिससे प्लेसेंटा की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है।
योग, ध्यान (Meditation) और हल्की एक्सरसाइज से तनाव को कम किया जा सकता है।


8. डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न लें :

गर्भावस्था के दौरान कोई भी दवा डॉक्टर की अनुमति के बिना न लें, क्योंकि कुछ दवाएं प्लेसेंटा को नुकसान पहुंचा सकती हैं।



9. जलन या इंफेक्शन से बचें :

यदि आपको बार-बार पेशाब में जलन या कोई संक्रमण हो रहा है, तो यह प्लेसेंटा को प्रभावित कर सकता है।
पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और हाइजीन का ध्यान रखें।


10. डिलीवरी के समय डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें :

यदि डॉक्टर ने सी-सेक्शन (C-Section) या विशेष देखभाल की सलाह दी है, तो उसे गंभीरता से लें।
यदि प्लेसेंटा डिलीवरी के बाद गर्भाशय में रह जाता है (Retained Placenta), तो यह इंफेक्शन या रक्तस्राव का कारण बन सकता है।


निष्कर्ष : प्लेसेंटा शिशु के स्वस्थ विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह न केवल पोषण और ऑक्सीजन प्रदान करता है, बल्कि संक्रमण से सुरक्षा भी देता है। यदि प्लेसेंटा से जुड़ी कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है।